रविवार, 19 अप्रैल 2015



अभिनव राजस्थान के प्रणेता डा. अशोक चौधरी का एक लेख हूबहू अवलोकनार्थ प्रस्तुत कर रहा हूँ।
Ashok Choudhary
अपने अपने जिले की मोनिटरिंग,
ऐसा काम है जो देशभक्ति के नये आयाम बना देगा.
आपको लगेगा कि देश संभालने का काम आप घर बैठे कर रहे हैं.
अपने बच्चों, जीवन साथी, दोस्तों को बताने के लिए कुछ खास आपके पास होगा, जिस पर आपको गर्व होगा. (अभिनव राजस्थान अभियान)
मित्रों, दिल्ली या जयपुर में अभिनेता (राजनेता) लोग जो बोल रहे हैं, उसमें और धरातल में बहुत अन्तर है. जब यह अंतर आप पर खुलेगा तो आप कहोगे-धत्त तेरे की, इतने साल क्या सुन रहे थे, देख रहे थे, क्या पढ़ रहे थे, क्या मान रहे थे. आप जब जिले को संभालोगे तो ही ऐसा होगा. एक दो उदहारण काफी हैं.
पूरी दुनिया चिंतित है कि जलवायु परिवर्तन हो रहा है. Climate Change is a reality. इस अंतर्राष्ट्रीय समस्या से निपटने के लिए अपने जिले में क्या हो रहा है ? दुनिया और दिल्ली से आई बड़ी रकम का क्या हो रहा है ? शायद नहीं पता ? लेकिन हो रहा है यहाँ भी काम ! कागजों में. कृषि और वन विभाग के पास योजनाएं हैं, करोड़ों रूपये हैं. National Mission on Sustainable Agriculture है, वृक्षारोपण की बड़ी योजना है. पर वे कुछ खास नहीं कर रहे. वन विभाग और कृषि विभाग को जब आप मोनिटर करोगे तो पता चलेगा कि जो बातें आप अखबारों में पढते हैं, वे आपके आसपास की हैं, पर अभी तक हम उनसे अनजान थे.
ठीक ऐसे ही देश में चिंता है कि देश का किसान खेती छोड़ देगा. खेती लाभ का सौदा नहीं है. उसे कैसे खेती में रोका जाए ? राष्ट्रीय खाद्य सुरक्षा मिशन, National Food Security Mission हर जिले में चल रहा है. बस समस्या इतनी सी है कि किसान और कृषि विभाग इसे मिशन के रूप में नहीं ले रहे हैं और पैसा कागजों में ही उड़ जाता है या खर्च किये बगैर रह जाता है.
अब हम केवल अपने चुने हुए राजनेता के भरोसे देश की प्रगति चाह रहे हैं तो यह गंभीर भुलावा है जिसने देश को दुनिया का पिछडा देश बना रखा है. भले ही हम एक बड़ा झूठ बोलें कि हम दुनिया की ताकत हैं ! हम कोई ऐसी ताकत नहीं हैं, हम एक बाजार हैं, जिसे हर विकसित देश भुनानन चाहता है ! हमारा अपना उत्पादन ठप्प पड़ा है. अब बाहर के लोग यहाँ आकर उत्पादन करेंगे और भारत को मजबूत क्यों करेंगे, समझ से बाहर है.
आइये देशभक्ति का नया और असली आयाम स्थापित करें. अभिनव राजस्थान अभियान में अपने जिले के किसी न किसी विभाग की मोनिटरिंग सीखें.
वंदे मातरम !

शुक्रवार, 10 अप्रैल 2015

क्या किसान वास्तव में अन्नदाता है

  • आज के सन्दर्भ क्या किसान वास्तव में अन्नदाता है, देश में कृषि निर्भर लगभग 70 प्रतिशत आबादी है। प्रकृति और कर्ज दोनों की मार इस निरीह को आत्महत्या के लिये मजबूर कर रही है।
  • व्यवस्था में कहीं न कहीं तो त्रुटि है ही। आखिर इस अवस्था के लिये कौन जिम्मेवार है

     यही एक सवाल है जो आज मैं ही नहीं हर खेतीहर पूछ रहा है।